अवध ओझा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रयागराज सीट से चुनाव लड़ने के लिए भाजपा से टिकट मांगा था। भाजपा ने उन्हें कैसरगंज से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया, लेकिन उन्होंने अपनी मां के मना करने पर वहाँ से चुनाव नहीं लड़ा। इसके बाद अवध ने कांग्रेस से अमेठी सीट के लिए टिकट मांगा। कांग्रेस ने शुरुआत में सहमति दी, लेकिन बाद में किशोरीलाल शर्मा को टिकट दे दिया।
AAP में शामिल होने की वजह
2024 में अवध ओझा ने आम आदमी पार्टी (AAP) का दामन थाम लिया। उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा में सुधार का हवाला देते हुए कहा, "दिल्ली के सरकारी स्कूलों का 12वीं का रिजल्ट 97% है। 2015 में सरकारी स्कूलों के केवल 15 बच्चों ने IIT-JEE MAINS क्वालीफाई किया था, लेकिन इस बार यह संख्या 783 तक पहुंच गई। शिक्षा शेरनी का दूध है, जो पीएगा वो दहाड़ेगा।" उनका यह बयान उनके शिक्षा के प्रति समर्पण और उनके मूल्यों को दर्शाता है।
राजनीति में भविष्य की योजना
AAP में शामिल होने के बाद उनसे पूछा गया कि क्या वह 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इस पर उन्होंने कहा, "पार्टी जो भी आदेश देगी, मैं वही करूंगा।" अरविंद केजरीवाल ने इस पर कहा, "थोड़ा सस्पेंस रहने दीजिए।" यह बात यह दर्शाती है कि अवध ओझा पार्टी के अनुशासन का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
अवध ओझा का व्यक्तिगत जीवन
अवध ओझा का जन्म 3 जुलाई 1984 को उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में हुआ। उनके पिता, माता प्रसाद ओझा, पोस्टमास्टर थे और शिक्षा के प्रति अत्यंत जागरूक थे। उन्होंने अपनी पत्नी को वकील बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन बेची। यह कदम उनके परिवार में शिक्षा के महत्व को दर्शाता है।
अवध के UPSC की तैयारी के लिए उनके पिता ने बची हुई 5 एकड़ जमीन भी बेच दी। अवध और उनकी बहन दिल्ली आकर पढ़ाई में जुट गए। हालांकि, अवध UPSC मेन्स परीक्षा पास नहीं कर सके। इस असफलता ने उन्हें कोचिंग और शिक्षण के क्षेत्र में एक नई राह दिखाई।
शिक्षण और करियर की शुरुआत
UPSC में असफलता के बाद अवध ने इलाहाबाद में कोचिंग सेंटर में इतिहास पढ़ाना शुरू किया। शुरुआत में उनकी शैली को छात्रों ने नकार दिया, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी शैली में सुधार किया और सफलता पाई। उन्होंने BA इन हिस्ट्री, MA इन हिंदी लिटरेचर, LLB, MPhil और PhD की डिग्रियां हासिल कीं।
2005 में वह दिल्ली आए और "ऊष्मा कोचिंग सेंटर" की स्थापना की। उन्होंने यूट्यूब चैनल शुरू किया और ऑनलाइन पढ़ाना शुरू किया। उनके मोटिवेशनल वीडियो UPSC स्टूडेंट्स के बीच काफी लोकप्रिय हुए। उनकी शिक्षण शैली और प्रेरक भाषणों ने हजारों छात्रों को प्रेरित किया।
शिक्षा के प्रति अवध का दृष्टिकोण
उन्होंने कहा, "जहाँ मैं आता हूँ, वहाँ या तो आपको IAS ऑफिसर बनना होता है, या अपराधी।" उनकी इस सोच ने हजारों युवाओं को प्रेरित किया। उनकी क्लासेस में न केवल पढ़ाई बल्कि जीवन में अनुशासन और महत्वाकांक्षा के महत्व को भी सिखाया जाता है।
राजनीति में रुचि और बयान
अवध ओझा ने अखिलेश यादव को विजनरी नेता बताते हुए कहा कि वह देश के प्रधानमंत्री बन सकते हैं। राहुल गांधी को प्रियंका गांधी से बेहतर नेता बताते हुए उन्होंने प्रियंका को अच्छी आयोजक कहा। अरविंद केजरीवाल की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान प्रशंसनीय है।
AAP में शामिल होने के बाद बयान
AAP में शामिल होते ही उन्होंने कहा, "पार्टी जो भी काम देगी, मैं करूंगा।" अरविंद केजरीवाल ने उनकी तारीफ करते हुए कहा, "अवध ओझा जी लाखों युवाओं के प्रेरणास्त्रोत हैं। उनके आने से शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आएगी।" उनके इस कदम ने युवाओं के बीच एक नई प्रेरणा का संचार किया।
सोशल मीडिया पर चर्चा
AAP में शामिल होने के बाद सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों और आलोचकों ने विभिन्न प्रतिक्रियाएँ दीं। कुछ लोगों ने उनसे सवाल किया कि "शिक्षा और शराब में दिल्ली के लिए क्या ज्यादा जरूरी है?" यह सवाल सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया।
संघर्ष और प्रेरणा
अवध का जीवन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने बताया, "दिल्ली में मुखर्जी नगर का खर्चा 20,000 रुपये महीना था। कोचिंग सेंटर का किराया, घर का खर्च, सब खुद ही उठाना पड़ता था। दिन में क्लास लेता था और रात में काम करता था।" उनके संघर्ष की यह कहानी छात्रों और युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गई।
दिल्ली की शिक्षा नीति की प्रशंसा
दिल्ली सरकार की शिक्षा नीति की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों की सफलता ने गरीब बच्चों के लिए शिक्षा के दरवाजे खोल दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि "हर गरीब बच्चे को अच्छी शिक्षा का अधिकार है, और इसे पूरा करने के लिए सरकार को और कदम उठाने चाहिए।"
परिवार और सामाजिक जिम्मेदारी
अवध ने बताया कि उनके पिता ने जमीन बेचकर उनकी शिक्षा का खर्चा उठाया और यह उनके जीवन का सबसे बड़ा बलिदान था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परिवार की भूमिका किसी भी व्यक्ति के जीवन में कितनी अहम होती है।
राजनीतिक सफर की चुनौतियां
अवध ने यह स्वीकार किया कि राजनीति में आना उनके लिए आसान नहीं था। उन्होंने कई बार पार्टी और टिकटों को लेकर असहमति का सामना किया। हालांकि, उन्होंने कहा कि राजनीति में उनका उद्देश्य सत्ता पाना नहीं, बल्कि समाज के लिए कुछ अच्छा करना है।
भविष्य की योजना
AAP में शामिल होने के बाद अवध ने कहा कि वह शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में युवाओं के लिए काम करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी प्राथमिकता उन बच्चों तक शिक्षा पहुंचाना है, जो आर्थिक तंगी के कारण इससे वंचित रह जाते हैं।
अवध ओझा का यह सफर एक प्रेरणा है कि कैसे संघर्ष, दृढ़ संकल्प और शिक्षा के प्रति समर्पण से कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को नई दिशा दे सकता है। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि असफलता के बाद भी, सही सोच और मेहनत से नई ऊँचाइयाँ पाई जा सकती हैं।